Tuesday, 30 July 2013

गोनू झा केर कम्मल


                                                             
                        गोनू झा केर कम्मल

                                                                 - अमलेन्दु शेखर पाठक 

गोनू झाक बुद्धि आ ज्ञानक जते लोक प्रशंसक छला ततबे हुनक विरोधी सेहो छला। हुनक धन-बीतसँ जरै छला। सदिखन अवसर तकै छला जे कखन गोनू झाक दुनू भाइमे झञ्झटि होनि जे बीचमे पड़ि गोनू झाकेँ हानि पहुँचाबथि। गोनू झाक भाइ भोनू झा छला सुधबौक। ओ छल-प्रपञ्च जनै ने छला। से जहाँ कोनो टोलबैया कनेको चढ़ेलक-बढ़ेलक कि बाँट-बखरा लेल तैयार भऽ जाइ छला। ओ लोकक चढ़ौअलि-बढ़ौअलि नञि बूझथि। से एक बेर भोनू झाकेँ किछु गोटे सिखा-पढ़ा देलकनि जे गोनू झासँ बाँटि लीयऽ नञि तँ कहियो विकास नञि करब। एहि बेर भोनू झा अड़ि गेला। गोनू झा कतबो बुझेलनि ओ मानबा लेल तैयारे ने भेलथिन। हारि कऽ गोनू झा बाँट लेल तैयार भऽ गेला।
गोनू झाक विरोधी सभ जखने ई सुनलनि सभक छाती जुड़ा गेलनि। ओ सभ भोनू झाक पक्षसँ पञ्च भऽ कऽ एला। गोनू झा तँ असलीहत बुझै छला। ओ मने मन पञ्च सभकेँ पछाड़बाक आ भोनू झाकेँ फेरसँ संग करबाक विचार केलनि। हुनकर ध्यान कम्मल दिस गेलनि आ ओ मुसुकि उठला। ओ पञ्च सभसँ ई स्वीकार करबा लेलनि जे जकरा हिस्सामे कम्मल जखन रहत तखन ओ अपना हिसाबे ओकर उपयोग करत।
बाँट-बखरा भऽ गेल। सभ समान गोनू झा आ भोनू झामे बरोबरि कऽ बँटा गेल। रहि गेल एगो कम्मल। समस्या छल जे ओ एके टा छल। ओकरा कोना बाँटल जाय जे दुनूकेँ भेटनि। गोनू झाक विरोधी सभ चालि चललनि। कम्मलक बाँट एना कऽ देलनि जे दिनमे ओ गोनू झा रखता आ रातिमे भोनू झा। गोनू झाक विरोधी टोलबैया सभ मने मन प्रसन्न छल जे एहि बेर हिनकर सभ बुधियारी घुसरि जेतनि, मुदा गोनू झा अपनो यैह चाहै छला। ओ प्रसन्न भऽ गेला। बाँट-बखराक दुइ दिन बाद भोनू झाकेँ फेर पञ्च सभकेँ बजाबऽ पड़लनि। कारण छल जे गोनू झा दिनमे कम्मल तँ राखथि, मुदा साँझ पड़बासँ पहिने ओकरा पानिमे बोरि भिजा देथि। आब रातिमे जखन भोनू झाक हिस्सामे कम्मल भेटनि तँ ओ तते तीतल रहै छल जे उपयोगे ने कयल जा सकै छल। भोनू झाक शिकाइतपर पञ्च सभ गोनू झाकेँ आबि टोकलथिन। गोनू झाक उत्तर छलनि जे हुनका हिस्सामे जखन दिनमे कम्मल छनि तँ ओकर उपयोग हुनका जेना मन हेतनि तेना ने करता। ओ रातिमे तँ कम्मल नञि भिजबै छथि। आब पञ्च सभ निरुत्तर रहि गेला। भोनू झा सेहो बुझि गेला जे गोनूक ज्ञानक आगाँ ककरो चलऽवला नञि। ओ फेरसँ गोनू झाक संग भऽ गेला। जखन गोनू झा दरबार गेला आ महराजकेँ पता लगलनि तँ ओ गोनू झाक बुधियारीक प्रशंसा केलनि। एहि लेल हुनका दान-दक्षिणामे सोना, चानी, हीरा आदि भेटलनि आ महराज एगो कम्मल सेहो देलथिन जे दुनू भाइ लग एक-एक टा भऽ जायत। आब भोनू झा बुझलनि जे गोनू झाक संग रहबासँ की लाभ अछि?

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