
- अमलेन्दु शेखर पाठक
गोनू झा अपन तीक्ष्ण बुद्धि आ ज्ञानकेँ लऽ समग्र मिथिलामे चर्चित तँ छलाहे ओ राज दरबारमे सेहो यशस्वी छला। सदिखन अपन बुधियारीक बलपर पुरस्कार पबिते रहथि। हुनका घरमे सोना, चानी, हीरा आदिक अमार लागल रहै छलनि। एहि कारणेँ चोर-चुहार सदिखन हुनका घरपर नजरि टिकेने रहै छल जे कखन मौका भेटय आ सभटा धन पार कऽ दी, मुदा सभ बेर ओकरा सभकेँ गोनू झा अपन बुधियारीसँ पछारि देथि। चोरि तँ नहिञे कऽ पाबय, गोनू झा उन्टे बिना कोनो विशेष प्रयासक ओकरा सभकेँ दण्डित सेहो कऽ देथि। सभ बेर चोरबा सभ बपहारि काटि पड़ाय। सभ बेर चोरबा सभ संकल्प लै छल जे गोनू झाक घरमे चोरि कऽ हुनका पाठ पढ़ेने बिना नञि छोड़त। से एक दिन अवसर भेटिते चोरबा सभ मुन्हारि साँझमे गोनू झाक घरमे पैसि गेल आ छपकि कऽ बैसि गेल आ प्रतीक्षा करऽ लागल जे रातिमे जखन गोनू झा आ हुनक कनिञा सूति रहती तँ सभटा गहना-गुड़िया, सोना-चानी आदि पार कऽ देब।
चोर सभकेँ लऽ गोनू झा सेहो चौचंक रहै छला। से जखन ओ राज दरबारसँ घुमला तँ हुनक नजरि कोठीक पाछाँ नुकायल चोरपर पड़ि गेलनि। गोनू झा मुसुकि उठला आ मने-मन चोरबा सभकेँ पाठ पढ़ेबाक निश्चय केलनि। खा-पी कऽ ओछायनपर एला तँ चर्चा चला कनिञासँ चोर सभक उत्पातपर बात करऽ लगला। एहि क्रममे ओ कनिञाकेँ कहलथिन जे ओ चोर सभक उत्पातक कोनो चिन्ता नञि करथु। गोनू झा हुनकर सभटा गहना-गुड़िया तेना ने नुका कऽ राखि देलनि अछि जे चोरबा सभ की चोरबा सभक बापो ने ताकि सकत। कनिञा पुछलथिन जे कहाँ धऽ देलियै? पहिने तँ गोनू झा कहबासँ नाकर-नुकुर केलनि आ तकर बाद कहलथिन जे बाड़ीक लतामपर मोटरी बान्हि टाङि देने छथि। चोरबा सभ तँ घरमे ने ताकत। भोरे फेर उतारि अनता आ राति कऽ धऽ देता। पहिने तँ कनिञा बाहरमे धन हेबापर चिन्ता प्रकट करैत ओकरा घरमे आनऽ लेल कहलथिन, मुदा जखन गोनू झा खूब बुझेलथिन तँ ओ सूति रहली आ फोँफ काटऽ लगली। एमहर गोनू झा अनमट काढ़ि ओछायनपर पड़ल रहला।
चोरबा सभ ई बात सूनि रहल छल, मुदा गोनू झा कतेको बेर छका देने छला तेँ पहिने एक गोटे लतामक गाछपर मोटरी टाङल अछि कि नञि से देखबा लेल गेल। ओ घुरि कऽ आयल तँ कहलक जे ठीके मोटरी टाङल अछि। आब तँ चोरबा सभ प्रसन्न भऽ गेल जे गोनू झाकेँ होइ छनि जे बड़ बुधियार छी से एहि बेर सभटा बुधियारी घुसरि जेतनि। चोरबा सभ एकाँएकी घरसँ बहरायल से गोनू झा तरे आँखिए देखि चुलक छला। ओ प्रतीक्षा करऽ लगला। ओमहर चोरबा सभ बाड़ीमे लतामक गाछ तर पहुँचल आ खूब पैघ मोटरी टाङल देखि आनन्दे झूमि उठल। सभ लप दऽ गाछपर चढ़ल आ मोटरी उतारबा लेल जहाँ हाथ लगेलक कि बाप-बाप चिकरऽ लागल। असलीहतमे ओ छल मधुमाँछीक पैघ छत्ता। जहाँ चोरबा सभ हाथ लगेलक कि मधुमाँछी सभ ओकरा सभपर टूटि पड़ल। चोरबा सभ गाछपरसँ धपा-धप खसल आ बपहारि कटैत पड़ायल। हल्लापर टोलबैया सभ लाठी लऽ जूटल जे गोनू झाक घर फेर चोर एलनि, मुदा एला तँ देखलनि जे गोनू झा हँसि रहल छथि। जखन सभटा खेरहा कहलनि तँ टोलबैयो सभ हँसैत घूरल आ गोनू झाक बुधियारीक चर्चा एक बेर फेर सौँसे पसरि गेल। राज दरबारमे जखन ई बात पहुँचल तँ महाराज गोनू झाक बुधियारीसँ प्रसन्न भऽ हुनका पुरस्कारमे सोना-चानी दऽ बिदा केलनि। गाूेनू झा बुधियारीसँ चोरबा सभकेँ छका अपन धन बचेलनि आ पुरस्कारमे आरो धन भेटि गेलनि।
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