Sunday, 28 July 2013

मधुश्रावणीक गीत आ बीनी

मधुश्रावणीक गीत आ बीनी
नव विवाहिताक महापर्व मधुश्रावणी पाबनि मनायल जा रहल अछि। एकर समापन आगामी 9 अगस्तकेँ साओन शुक्ल तृतीयाकेँ होयत। नव विवाहिता लोकनि गौरी, बिसहरा, वैरसी, चनाइ नाग, कुसुमावती, पिंगला, लीली नाग, शतभगिनी सहित गोसाउनि, साठि केर पूजन कऽ रहल छथि। नित्य कथा सुनि रहल छथि। ओतहि बीनीक मोटरीकेँ खोँइछमे राखि पाँच गोट ‘बीनी’ तीन बेर सुनै छथि। एकर बाद सभ दिन लेल निर्धारित कथा होइत अछि। कथाक अन्तमे ‘बाचो बीनी’ सुनबाक विधान अछि। ओतहि पूजनक समय आ फूल लोढ़बा काल गीत-गायनक परम्परा रहल अछि। साँझक समय सेहो माय-बहिनि लोकनि ‘साँझ’ गबै छथि। पोथीक अभाव आ गामसँ दूर विभिन्न महानगर ओ नगरमे रहनिहार मैथिल परिवारकेँ अपन सांस्कृतिक परम्परासँ जुड़ल रहबामे असुविधा होइ छनि। एहि ठाम प्रस्तुत अछि गीत आ बीनी-


गोसाउनिक गीत- 1
विनती  सुनियौ हे  महरानी,  हम  सभ शरणमे ठाढ़।
अक्षत  चानन  अहाँकेँ  चढ़ायब, आरती  उतारब ना।।
बेली चमेली माँ के हार चढ़ायब, ओड़हुल चढ़ायब ना।
करिया  छागर  धूर  बन्हायब,  उजर  चढ़ायब  ना।।

गोसाउनिक गीत- 2

कोन फूल पीयर हे माता कोन फूल लाल हे
कोन फूल पहिरन माँ के कोन फूल सिङार हे
चम्पा फूल पियर माँ हे ओढ़ूल फूल लाल हे
चम्पा फूल पहिरन माँ के ओढ़ूल फूल सिङार हे
पहिरि   ओढ़िय  काली  मन्दिरमे  ठाढ़  हे
सभ  सखि  मिलि कऽ पूजू माँ के दुआरि हे
पाँच - सात  सखि  मिलि विनिमव तोहार हे
हमरो   विनती   माता   सूनू   बारम्बार  हे
एकटा  जे  आशीष  दियऽ अहैबक सिङार हे
युग - युग   रहै   पबनैतिनक   सोहाग  हे

बिसहरिक गीत

साओन मास नागपञ्चमी भेल
बिसहरि गहवर सोहाओन भेल
केयो नीपै गहवर केया चौपारि
हमही अभागिन निपी दुआरि
केयो लोढ़य अड़हुल केओ बेलपात
 हमहू अभागिन हरियर दूभि
केयो माङय अनधन केओ माङय पूत
हमहू अभागिन सिरक सिन्दूर
कथी के चौखण्डी माता कथी के चौपारि
कथी के ओठङनि बिसहरि खेले जुआ सारि
सोना के चौखण्डी मैया रूपा के चौपारि
तुलसी ओठङनि बिसहरि खेले जुआ सारि
खेलैते धूपैते बिसहरि गेली अलसाय
सिरमा बैसल भगता बेनिया डोलाय
कहाँ तोहर आसन वासन कहाँ निज धाम
कौने दाइक बेटी थिकहुँ की थिक नाम
मेना हमर आसन बासन वैह थिक नाम
गौरी दाइक बेटी थिकहुँ बिसहरि नाम
जोड़ी लागल कलश देब जोड़ी लागल झाँझ
जोड़ी लागल छागर देब रहू एहि ठाम
सदा दहिन रहू होइयौ ने बाम

मोसरामनी पुजबा कालक गीत- 1

पहिरि ओढ़िय कनिञा सुहबे पाबनि पूजऽ बैसली हे
 हे शुभ पावनि दिनमे
लच-चल लचकै हुनकर डाँर
हे शुभ पाबनि दिनमे
घोड़बा चढ़ल अबथिन दुलहा रसिलबा
 हे शुभ पाबनि दिनमे
आजु  सुदिन दिन पाबनि छै
हे शुभ पाबनि दिनमे
ससुरा सँ औतै भरिया भार
हे शुभ पाबनि दिनमे
भरिया के करिहऽ बिदाह
हे शुभ पाबनि दिनमे

मोसरामनी पुजबा कालक गीत- 2

पाबनि पूजू आजु सोहागिन प्राण नाथ के संगमे
कारी कम्बल झारि गंगाजल काजर सिन्दुर हाथमे
चानन घसू मेहदी पीसू लिखू मैना पातमे
पाबनि साजी भरि-भरि आनल जाही-जूही पातमे
कतेक सुन्दर साज साजल अछि लिखल मैना पातमे।

फूल लोढ़बाक गीत

जानकी सखी विचारल झटझाट झारल
हे चलहुँ नन्दन वन जाय, सुन्दर फूल लोढ़ब
लालहि बन फूल लोढ़ब फुल तोड़ब
हे सिन्दुर भरल सोहाग, बालमु संग गौरी पूजब
हरियर बन फूल लोढ़ब, फुल तोड़ब
पानहि भरल सोहाग, बालमु संग गौरी पूजब।
कारी बन फूल लोढ़ब, फुल तोड़ब
हे काजर भरल सोहाग, बालमु संग गौरी पूजब।
चारु बन फूल लोढ़ब, फुल तोड़ब
हे माङब अखण्ड सोहाग, बालमु संग गौरी पूजब।


साँझ
कोन घर साँझ सँझाय गेल कोने घर दीप जरु रे
बाबू कोने सिर कल्याण भेल लक्ष्मी दहिन भेल रे
बड़बा बाबा साँझ सँझाय गेल बड़की बाबी घर दीप जरु रे
फल्लाँ बाबा घर सिर कल्याण भेल लक्ष्मी दहिन भेल रे
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बीनी-1

जहियासँ भेल मन-मनारे। बिसहरि खसली शम्भु-भड़ारे।।
कानथि गौरा फोड़थि ढाह। हे दाइ बिसहरि राखू नाह।।
आब तुलायलि पाँचो बहिनी। सकल शरीर घामि गेल बीनी।।
बीनी हे बिसकर्मा देलनि । देव-दोतिलकेँ देखऽ देलनि।।
सामिल-बाइल हरे परेखी। बेनी-गुण यति कहब विशेषी।।
आँतर-आँतर लागल मोती। मुक्ता गाछ पाट के थोपी।।
चारि कञ्चन चारि सामिक वरना। से देखि माइ हे आदित भुलना।।
से देखि माइ हे मालिन भुलना। डाँटी लागि गरुड़ के वाला।।
सोने बान्हू बान्ह करोड़ा। रूपे बान्हू गजमोती माला।।
जे बनीइ तेन बीनइ सारी। गहा-गुही पलटा दे नारी।।
अन्हरा पाबय नयन-संयुक्ता। कोढ़िया पाबय निर्मल काया।।
बाँझी नारि पाबय पुत्ता। जे ई बीनी सुनय चित्ता।।
अनधन लक्ष्मी बाढ़य वित्त। जे ई बीनी सुनय मन लागि।।
तकरा वंश नञि हो विष-दोष। तकर पुरुष चलय लछ कोस।।
जँ बीनीक लागय बसात। बीष-दोष नञि आबय पास।।

बीनी- 2
गोसाउनि दान बड़ि, सोहाग बड़ि, सुन्दर बड़ि, आधा साओन
जगत्र गोसाउनि, मधस्थ राजाक बेटी, युगे कुमरक बहिन
मधु-मधु महानाग-श्रीनाग-नागश्री दाइकेँ पाँच पुत्र कोखि धरि
नाहर परतारि बैरसी बियाहि, मद्र-मनिका धरहर ढाहि, गोसाउनि
सन भाग, लीली सन सोहाग, सुननिहारिकेँ होइनि।

बीनी- 3
गोसाउनि दाइकेँ एक ढक छियनि, पुरिबा-पछबा बसात छियनि,
कोखिलाक सात छियनि, भमराक लात छियनि, मेघडम्बर सन छाती छियनि
मुक्तावली पाँती छियनि।

बीनी- 4
बीनी बूनल झोर कोन, बीनी उठल पहिल कोन।
बीनी बूनल झोर कोन, बीनी उठल दोसर कोन।
बीनी बूनल झोर कोन, बीनी उठल तेसर कोन।
बीनी बूनल झोर कोन, बीनी उठल चारिम कोन।
बीनी बूनल झोर कोन, बीनी उठल पाँचम कोन।
चारू कोना रूना टूना भेल सम्पूर्णा, गौरा दाइकेँ पाँचो बेटिया।
भल भाइ शंकर हमहीँ जियाओल गौरी दाइ के बेटी।।

बीनी- 5
दीप दिपहरा जाथु धरा। मोती-मानिक भरथु घरा।।
नाग बढ़थु, नागिन बढ़थु। पाँच बहिन बिसहरा बढ़थु।।
बाल बसन्त भैया बढ़थु। डाढ़ी-खोँढ़ी मौसी बढ़थु।।
आशावरी पीसी बढ़थु। बासुकी राजा नाग बढ़थु।।
बासुकिनी माय बढ़थु। खोना-मोना मामा बढ़थु।।
राही शब्द लऽ सुती। काँसा शब्द लऽ उठी।।
होइत प्रात सोना कटोरामे दूध-भात खाइ।।
साँझ सूती प्रात उठी, पटोर पहिरी कचोर ओढ़ी।।
ब्रह्माक देल कोदारि, विष्णुक चाँछल बाट।।
भाग-भाग रे कीड़ा-मकोडाÞ। ताही बाट अओता ईश्वर महादेव,
पड़ल गुरूड़क ढाठ। आस्तिक, आस्तिक, आस्तिक, गरुड़, गरुड़।।

वाचो बीनी
पुरैनिक पत्ता, झिलमिल लत्ता, ताहि चढ़ि बैसली बिसहरि माता।
हाथ सुपारी खोँइछा पान, बिसहरि करती शुभ कल्याण।

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