Tuesday, 30 July 2013

मधुश्रावणी : पाँचम दिनक कथा

             मधुश्रावणी : पाँचम दिनक कथा

                                            प्रस्तुति : अमलेन्दु शेखर पाठक

          दन्त कथापर आधारित महादेवक पारिवारिक कथा
दक्षक यज्ञमे सतीकेँ प्राण त्यागबाक बाद दक्ष प्रजापति हिमालय रूपमे अवतार लेलनि। हुनका पाँच कन्या भेलथिन उमा, पार्वती, गंगा, गौरी आ सन्ध्या। एहि पाँचो कन्याक विवाह बेरा-बेरी महादेवसँ भेलनि।
                                         उमा
हिमालय पत्नी मैनाक पहिल पुत्री जखन पाँच बरखक भेली तखनेसँ महादेवकेँ वर रूपमे प्राप्त करबाक कामनासँ तपस्या लेल वन बिदा भऽ गेली। माय मनाइन हुनका उमा कहि कऽ मना केलनि तथापि ओ चलि गेली। तेँ हुनकर नाम उमा पड़लनि। आठ बरखक हेबापर महादेव हुनक तपस्यासँ प्रसन्न भऽ हुनकासँ विवाह केलनि। ई समाचार सुनि मनाइन बताहि जकाँ करऽ लगली जे फूल सनक बेटीकेँ बुढ़बा वर लऽ गेला।
                                          पार्वती 
हिमालयक दोसर बेटी पार्वती भेलथिन। हुनको बाढ़ि उमा जकाँ छलनि। ओहो थोड़बे दिनमे विवाहक योग्य भऽ गेली। पार्वती एक दिन फूल तोड़बा लेल सखी सभक संग कनक शिखरपर गेली। ओतऽ ओ एक गोट बूढ़ व्यक्तिकेँ देखलनि जिनका पैघ-पैघ पाकल केश आ पैघ-पैघ दाँत छलनि। ओ बसहापर चढ़ल डमरू बजा रहल छला। पार्वती चीन्हि गेली जे ओ आर क्यौ नञि साक्षात महादेव छथि। सखी सभक मनो करबोपर सभकेँ घर बिदा कऽ पार्वती अपने महादेवक संग बसहापर चढ़ि चलि गेली। सखी सभ घर आबि मनाइनकेँ सभ बात कहलनि। ओ अपन माथ धुनऽ लगली जे ‘हमरा कपारमे की लिखल अछि जे एना भऽ जाइत अछि, किन्तु आब जे भऽ गेल तकर कोन उपाय?’
                                                                  गंगा 
हिमालयक तेसर बेटी भेलथिन गंगा। ओहो जखन पैघ भेली तखन एक दिन महादेव भिखारि रूपमे आबि गंगाकेँ जटामे नुका भागि गेला। तहियासँ गंगा सतत महादेवक जटामे रहऽ लगली। मनाइन जखन ई बुझलनि तखन फेर माथ धुनलनि जे ‘एहि बुढ़बाक यैह धन्धा छै जे हमर बेटी सभकेँ चोरा कऽ लऽ जाइत अछि।’


                    बिसहरिक गीत

                               संकलन : निर्मला देवी 

सखि हे साओन बरा सोहाओन
पुजबै नाग-नगिनिञा ना।।

घर पछुआरमे कुम्हरा रे भैया
भैया गढ़ि दे माटिक दीप
पुजबै नाग-नगिनिञा ना।।

घर पछुआरमे कानू रे भैया
भैया भूजि दे धानक लाबा
पुजबै नाग-नगिनिञा ना।।

घर पछुआरमे दूधवला भैया
भैया दूहि दे गाइक दूध
पुजबै नाग-नगिनिञा ना।।

पाबनिक गीत
पाबनि एक हम पूजब महादेव
आनि दियऽ चीर बेसाहि महादेव
एहि रे जंगलमे चीर नञि भेटत
मृगछाला परचार महादेव।।

पाबनि एक हम पुजब महादेव
आनि दियऽ सिनुर बेसाहि महादेव
एहि जंगलमे सिनुर नञि भेटत
भसमे करू परचार महादेव।।

पाबनि एक हम पुजब महादेव
आनि दियऽ लहठी बेसाहि महादेव
एहि रे जंगलमे लहठी नञि भेटत
रुद्राक्षे करु परचार महादेव।।

पाबनि एक हम पुजब महादेव
आनि दियऽ नैवेद बेसाहि महादेव
एहि रे जंगलमे नैवेद नञि भेटत
भाङक करु परचार महादेव।।

बटगबनी
सुरुज मुँह नञि देखू मोर बिन्दिया के रंग उड़ि जाय
बहिना कोना कऽ कटबै साओन राति अन्हरिया
पिया छै नोकरिया ना।।

एक तऽ राति अन्हरिया
सूझय घर ने दुअरिया
पिया छै नोकरिया ना।।

बहिना कोना कऽ सुतबै
पिया के पलङिया
पिया छै नोकरिया ना।।

सखि सभ झुमि-झुमि गाबय गीत
दूर हमर मोनक मीत
पिया छै नोकरिया ना।।

बहिना बितल जाइ छै
काँच उमेरिया
पिया छै नोकरिया ना।।




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