Tuesday, 23 July 2013

गोनू झाक बेटा

                                                                                         गोनू झाक बेटा
                                                              - अमलेन्दु शेखर पाठक 
गोनू झाक घरपर चोर धपायले रहै छलनि। चोर सभ जनै छल जे गोनू झा राज दरबारमे छथि आ ओहि ठामसँ हुनका बेसी काल सोना-चानी, हीरा-मोती आदि इनाममे भेटिते रहै छनि। चोर सभ सदिखन गोनू झाक घरमे हाथ सुतारऽ लेल बाट तकैत रहैत छल। अपन एक ने एक चटियाकेँ गोनू झाक घर दिस पठबिते रहै छल जे जखने लगौ जे चोरि सम्भव अछि हम सभ जूमि जेबौ।
एक दिन चोर सभकेँ चटियाक समाद भेटल जे आइ गोनू झा सबेरे ओछायनपर चलि गेल छथि तेँ आइ हाथ साफ करबाक अवसर भेटि सकैत अछि। समाद भेटिते चोर सभ जूटल आ बेरा-बेरी गोनू झाक घरमे पैसि गेल। ओ सभ देखलक जे गोनू झा ओछायनपर पड़ल अपना कनिञा संग बतिया रहला अछि। चोर सभ कोठीक दोगमे दम्म साधि नुकायल दुनू बेगतीक सुतबाक प्रतीक्षा करैत हुनक बातो सुनि रहल छल।
ओमहर ओछायनपर पड़ल गोनू झाक नजरि चोरपर पड़ि गेल छलनि। ओ चोर सभकेँ पकड़बाक ब्योँत सोचऽ लगला। भेलनि जे हल्ला करब तँ चोर जँ बेसी संख्यामे होयत तँ पड़ा जायत आ कहीँ अस्त्र-शस्त्र ने रखने हो। चतुर गोनू झाकेँ उपाय फुरा गेलनि। ओ कनिञाकेँ कहलनि जे जखन अपना सभक बेटा होयत तँ हम पहिल केर नाम राखब मोहन।
गोनू झाक कनिञा औँघा रहल छलथिन, तेँ हुनक बातमे रुचि-रस नञि रहल छलथिन। गोनू झा हुनका देह झमारि जगेलनि आ कहलनि- ‘सुनू ने जे दोसर बेटाक नाम राखब लोचन, तेसर केर मोचन आ चारिम केर नाम राखब चोर।’
कनिञाकेँ तँ बूझल रहनि नञि जे घरमे चोर घुसि गेल अछि तकरे पकड़बाक जोगार गोनू झा कऽ रहल छथि। तेँ ओ कहलथिन ‘दुर जाउ चोर कहीँ नाम भेलै... अच्छा जे मन होयत से राखब...जहिया बेटा होयत तहिया ने नाम राखब एखन सूतू।’
गोनू झा चोर वला बात बाजियो नञि सकै छला आ चोरकेँ पकड़बोक छलनि तेँ पत्नीकेँ जगबैत बजला- ‘सूनू ने! चारू बेटाकेँ खूब खुआ-पिया कऽ तन्दुरुस्त राखब आ जखन जरूरति होयत चारूकेँ एक्के बेर सोर पाड़ब मोहन, लोचन, मोचन, चोर हो ऽऽऽऽ....जल्दी आबऽ मोहन, लोचन, मोचन, चोर हो ऽऽऽऽ....।’
गोनू झा जोर-जोरसँ नाम लऽ चिकरि-चिकरि बाजि रहल छला आ कनिञा हँसैत-हँसैत लोटपोट भऽ रहल छलथिन जे बेटा भेलनि नञि आ सभकेँ जोर-जोरसँ बजा रहल छथि, मुदा गोनू झाक आवाज आर जोरे भेल जा रहल छलनि।
एमहर गोनू झाक आवाज सुनि हुनक पड़ोसिया मोहन, लोचन आ मोचन लाठी लऽ पहुँचि गेला। सभ केबाड़ खटखटेलनि कि गोनू झा चट दऽ खोलि देलनि। पड़ोसिया सभ चोर दऽ पुछलकनि तँ देखा देलथिन कोठी दिस। चोर सभ गोनू झाक बात तँ सुनि रहल छल, मुदा गोनू झाक कनिञा जकाँ ओहो सभ खिस्से बूझि रहल छल। ओकरा सभकेँ पते ने छल जे बेटाक नामक बदल गोनू झा अपन पड़ोसियाक नाम लऽ रहल छथि आ चारिम बेटाक नाम जानि कऽ चोर राखि चिचिएला जाहिसँ सभ जुटि जाय। जखन पड़ोसिया सभ जुटि गेला तँ चोर सभकेँ पड़ेबाक बाटे ने सूझल। सभ पकड़ल गेल। लोक सभ जमि कऽ पिटलनि आ राजाक सिपाही सभकेँ पकड़ि कारागारमे धऽ देलक। असलीहत बुझबापर पड़ोसिया सभक संग कनिञा सेहो गोनू झा केर प्रशंसा केलनि आ महराज सुनलनि तँ एहू चतुरता लेल गोनू झा पुरस्कृत कयल गेला। चोरो पकड़ा गेल आ गोनू झा केर घरमे धन सेहो बढ़ि गेल।

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