मिथिला राज्य : जनबल केर हो सङोर
- अमलेन्दु शेखर पाठक
राष्टÑ जखन पराधीन छल। अङरेज राज करै छल। अनेक आत्मबलिदानी महापुरुष स्वाधीनता संग्रामक लड़ाइ लड़ि रहल छला। भारतवर्षकेँ अङरेजक चाङुरसँ मुक्त करबा लेल ओ सभ अपन जानक कोनो परवाहि नञि कऽ रने-बने बौआ रहल छला। समग्र राष्टÑकेँ एक सूत्रमे बान्हि स्वाधीनता आन्दोलनसँ जन-मनकेँ जोड़बा लेल अहर्निश प्रयास करै छला। एकर अपेक्षित परिणाम भेल। अङरेजक अत्याचारसँ सहमल जनमानस सेहो आन्दोलनक औचित्य बुझलनि आ बहुतो गोटे प्रत्यक्ष रूपसँ एहिमे सहभागी भेला। ओतहि एहन बहुत रास लोक छला जे आन्दोलनक समर्थक छला, अङरेजक अत्याचारसँ मुक्ति चाहै छला, हृदयमे स्वाधीनताक चिनगी सुनुगि रहल छलनि, मुदा मुखर नञि भऽ पाबि रहल छला। ओ सभ सामने एबामे हिचकिचाइ छला आ अपन भावनाक अभिव्यक्ति कतहु एकान्त-असगरमे करै छला। घरक कोठली बन्न कऽ अथवा एकान्त गाछीमे असगरे भारतमाताक जयकार किंवा वन्देमातरम् केर नारा लगबै छला। मिथिला राज्य आन्दोलनोक तेहने सन हाल अछि। जनमानसमे मिथिला राज्यक लेल चेतना अछि। एकर समर्थको बहुत रास लोक छथि। मिथिला क्षेत्रक समग्र विकास लेल पृथक मिथिला राज्यक गठन कयल जेबाक आवश्यकता बुझै छथि, मुदा ताहि लेल मुखर नञि होइ छथि। मिथिला राज्य आन्दोलनीक गतिविधि हुनका पसिन्न पड़ै छनि, मुदा एकर अभिव्यक्ति ओ परस्पर चर्चा मात्रमे करै छथि। आगाँ बढ़बासँ हिचकै छथि। प्रयोजन अछि एहि जनभावनाकेँ मुखर करबाक। से जहिए एहिमे सफलता भेटि जायत मिथिला राज्यक गठन अनायासे भऽ जायत। तहिना जेना अनुकूल बसात पाबि महात्मा गान्धीक संग जनसमुद्र उमड़ि आयल छल। ई वैह मिथिला अछि जाहि ठामसँ महात्मा गान्धी अपन आन्दोलनक सूत्रपात केलनि आ मन्द बसात जकाँ सिहकि रहल आन्दोलन तेहन प्रचण्ड बिहाड़ि बनि गेल जाहिमे ओहि अङेरजक सत्ता उड़िया गेल जकरा राजमे कहियो सूर्य अस्त नञि होइ छला। एहन धरगर-कसगर आन्दोलन लेल एकरा बहुमुखी बनेबाक आवश्यकता अछि।
मिथिला राज्यक माङ काल्हुक नञि अछि। अङरेजक दासतासँ भारत मुक्तो नञि भेल छल तहिएसँ मिथिला राज्यक माङ होइत रहल अछि। जहिया अङरेज 1903 मे मिथिलाकेँ दू फाँक कऽ देने छल आ सुगौली सन्धिमे एकर पैघ भू-भाग नेपालकेँ दऽ देलक तहियो मिथिला कछमछा उठल छल, जेना एखन तेलंगानाकेँ राज्य बनेबाक केन्द्र सरकारक निर्णयसँ मिथिला अपनाकेँ अपमानित आ उपेक्षित अनुभव कऽ रहल अछि। मिथिला-मैथिलीक विकास आन्दोलनमे जुटल संगठन सभक तिक्ख प्रतिक्रिया आबि रहल अछि। केन्द्र सरकारक मुखर विरोध भऽ रहल अछि। आन्दोलनकेँ प्रभावी बनेबाक घोषणा भऽ रहल अछि। ई सभ हेबाके चाही। संग-संग आत्म-मन्थन ओ आत्म-चिन्तन सेहो हेबाक चाही जे कहाँ चूकि रहल छी जे बेराबेरी देशमे राज्यक गठन भऽ रहल अछि आ मिथिलाकेँ एहिसँ बारल-टारल जा रहल अछि। एहिपर गम्भीर विमर्शक संग सधल डेग उठेबाक प्रयोजन अछि।
हिलोरल जाय जनमानस
बरखो भरि मिथिला राज्यक माङकेँ लऽ विभिन्न संगठन दिससँ धरना-प्रदर्शन होइत अछि। से दिल्लीक जन्तर-मन्तरपर बेसी। मिथिलाक माटिपर सेहो बरखो भरि आन्दोलनक संग विमर्शो होइत रहैत अछि। एकर सकारात्मक परिणामो होइत रहल अछि, मुदा आब प्रयोजन अछि जनमानसमे तेहन हिलोर उठेबाक जे मिथिला राज्यक विरोध आ उपेक्षा केनिहारकेँ ज्वार-भाटा बनि अपना संग बहा कऽ लऽ जाय। ताहि लेल आन्दोलनकेँ माटि धरेबाक प्रयोजन अछि। ‘माटि धरब’ अपना ओहि ठाम सकारात्मक आ नकारात्मक दुनू अर्थमे प्रयोग होइत अछि। आन्दोलनकेँ सकारात्मक अर्थ देबाक प्रयोजन अछि। जे माटि धेने रहैत अछि, अर्थात जकर जड़ि धरतीकेँ गसिया कऽ पकड़ने रहैछ ओकर केहनो झञ्झावात किछु नञि बिगाड़ि पबैत अछि। जकर जड़ि जते गहीँर से तते सबल। आ जखन जड़ि माटि छोड़ि दैत अछि, किंवा ओकर माटि पकड़बाक शक्ति घटि जाइत अछि तँ ओ माटि धऽ लैत अछि, माने धराशायी भऽ जाइत अछि। आ जे माटि धेनहि ने रहैत अछि ओ बसातक गति तेज होइते ओकरा संग सुखायल पात जकाँ उधिआय लगैत अछि। जखन पहलमान पेट भरे माटि धऽ लैत अछि तँ ओकरा चित्त कऽ माटि धरायब सहज नञि होइत अछि। से मिथिला राज्य आन्दोलनक सीर जनमानसमे जते गहीँर होयत एकर असरि ततेक बेसी होयत। एहि लेल क्षेत्र विस्तारक संग निरन्तर प्रयास अपेक्षित अछि।
सौँस मिथिलाक संगसँ भेटत नव ऊर्जा
कोनो आन्दोलनक लेल धनबलक प्रयोजन होइते अछि, मुदा ताहूसँ बेसी महत्वपूर्ण होइत अछि जनबलक। यैह होतइ अछि ओकर प्राण। एकरे बलपर ओकर धमनीमे आन्दोलनक रक्त-सञ्चार होइत अछि। एकरे बलपर आन्दोलन लक्ष्य दिस बढ़ैत अछि आ अन्तत: सफलतो प्राप्त करैत अछि। मिथिला लग जनबलक कमी नञि अछि। जनसंख्याक हिसाबे देखी तँ भारत राष्टÑमे तेहन-तेहन राज्य अछि जे ओते टा चारि राज्य असगर मिथिला क्षेत्रमे बनि जाय। असगरे दिल्ली, मुम्बइ सन कतेको महानगर आ नगर अछि जतऽ मैथिल ततबा संख्यामे छथि जतेक एकटा छोट-छीन राज्यक जनसंख्या होइत अछि। दुनिञामे कतेक एहन देश अछि जकर जनसंख्या मिथिला एते नञि अछि। छओ करोड़क जनसंख्या कम नञि होइत अछि। एकरा सभकेँ सङोरि सौँस मिथिलाक संग आन्दोलनक व्यापकता चाही। कोनो खास क्षेत्रसँ आन्दोलन कदापि नञि खुटेसल जेबाक चाही। एहि दिशामे संगठन सभक प्रयास चलि रहल अछि, मुदा एहि दिस ध्यान देब सेहो आवश्यक अछि जे सरकारी आ गैर सरकारी स्तरपर मिथिलाकेँ छोट करबाक प्रयास सेहो भऽ रहल अछि। मिथिला महोत्सवक आयोजन दरभंगा-मधुबनी मात्रमे किए होइत अछि? सहरसा क्षेत्रमे कोसी महोत्सव होइत अछि से अवश्यक कयल जाय, मुदा ओहू ठाम ने मिथिला महोत्सव हेबाक चाही। पूर्णिञा-किशनगञ्ज क्षेत्रकेँ सीमाञ्चलक नामपर मिथिलासँ कटबाक कुचक्र रचल गेल अछि। एहिपर गम्भीरतासँ विचार कऽ सधल डेग उठायल जेबाक चाही। जाहिसँ आन्दोलनक संग समग्र मिथिला अर्थात सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, बेतिया, मोतिहारी, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार, पूर्णिञा, अररिया, किशनगञ्ज, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, भागलपुर, हाजीपुर, वैशालीक क्षेत्र, मुंगेर आदि एकसंग तनतना कऽ ठाढ़ भऽ सकय। भागलपुर, मुंगेर, हाजीपुर सहित बहुत रास क्षेत्रक मिथिलाक संग अभिन्नता केर मुखरता आन्दोलनकेँ नव ऊर्जासँ भरत। एहि सभ क्षेत्रक जनबल केर हूंकार चाही। एहन नञि जे एहि दिशामे प्रयास नञि रहल अछि, प्रयोजन अछि एकरा विस्तृत फलक देबाक।
चाही राजनीतिक चेतना
मिथिला राज्यक गठन लेल राजनीतिक चेतना अत्यन्त आवश्यक अछि। से आन्दोलनी संगठनक संग जनमानसमे सेहो। पृथक राज्यक समाधान राजनीतिक अछि। एकर समाधान राजनीतिएसँ होयत। राजनेताकेँ मात्र भोटक डर होइ छनि। ओ सभ उचित-अनुचितपर विचारसँ बेसी अपन राजनीतिक लाभ तकै छथि। एहि लेल जनमानसकेँ सेहो सचेत होबऽ पड़त आ संगठनकेँ सेहो। एहि लेल प्रयोजन अछि जे राजनीतिक दलकेँ दू पक्षमे ठाढ़ हेबा लेल विवश कयल जाय। ओ अपन स्टैण्ड स्पष्ट करय जे मिथिला राज्यक संग अछि वा विरोधमे। राजनीतिक दलकेँ केन्द्रीय ओ राज्य स्तरपर मिथिला राज्यक प्रसंग अपन नीति रखबा लेल कहल जेबाक चाही आ जे पक्षमे ठाढ़ होइत अछि तकरा संग समग्र मिथिला हो। सुरसुर-मुरमुर दुनू केर अपेक्षा रखनिहार राजनीतिक दलकेँ नाङट करबा लेल अभियान चलय। ई शुभ संकेत अछि जे प्रसिद्ध क्रिकेटर आ दरभंगाक सांसद कीर्त्ति आजाद मिथिला राज्यक समर्थनमे खुजि कऽ सामने एला अछि। ओ पर्सनल बिल केर माध्यमसँ संसदमे मिथिला राज्य लेल प्रयास आरम्भ केलनि अछि। ओ संसदक भीतर-बाहर मिथिला राज्य लेल दृढ़ताक संग ठाढ़ रहबाक घोषणा केलनि अछि। अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समितिक तत्त्वावधानमे आयोजित कार्यक्रममे ओ दू टूक कहलनि अछि जे ओ मिथिला राज्य लेल निर्णायक लड़ाइमे संग रहता। से जँ अपन दल मना करतनि तैयो। ओ संसदपर 5 अगस्तसँ प्रस्तावित धरना-प्रदर्शनक नेतृत्वो करता।
छारनि मिलि बनय मुख्य धारा
मिथिला राज्य लेल बाबू जानकी नन्दन सिंह आत्म बलिदान केलनि। डॉ. लक्ष्मण झा पदयात्रा केलनि तँ पं. ताराकान्त झा रथयात्रा केलनि। डॉ. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ पछिला कतेको दशकसँ आन्दोलन कऽ रहल छथि। डॉ. धनाकर ठाकुर, उदयशंकर मिश्र, अशोेक झा, डॉ. बुचरू पासवान आदिक सक्रियता सेहो बनल अछि। पछिला जून मासमे मिथिला राज्य निर्माण सेना दिससँ सेहो रथ यात्रा भेल। समय-समयपर डॉ. राममोहन झा प्रभृत सेहो एहि लेल आन्दोलन करैत रहला अछि। माने आन्दोलन कहियो ठमकल नञि अछि। आन्दोलनक धारा निरन्तर प्रवाहित भऽ रहल अछि। ई जमकल नञि अछि, मुदा छारनि जकाँ फराक-फराक। राष्टÑीय ओ अन्तर्राष्टÑीय स्तरक संगठनक निर्माणक कार्य चलिए रहल अछि। ईहो क्रम नञि ठमकल अछि। प्राय: नित्य कोनो ने कोनो संगठनक बयानो अबैत रहैत अछि, मुदा से फराक-फराक। जँ सभ संगठन अपन तागति समवेत कऽ एक मञ्चसँ सधल प्रयास करय तँ मिथिला राज्य आन्दोलन अपन लक्ष्य धरि शीघ्र पहुँचत। प्रयोजन अछि सभटा छारनि मिलि मुख्य धाराक स्वरूप ग्रहण करय आ एक संग आन्दोलनक ज्वारि उठाबय। एक मञ्चपर जुटबाक बात होइत तँ रहल अछि। एहि लेल गोट पगरे प्रयासो भेल, मुदा ई परिणाम धरि नञि पहुँचल। एकर मूल कारण रहल अछि जे अधिकांश संगठन एक मञ्चपर जुटने अपनाकेँ ओहिमे हेरा जेबाक डर होइ छनि। एकरा त्यागऽ पड़त। मिथिला राज्यक सपना साकार करबा लेल अपन सभ ‘स्व’ केर तिलाञ्जलि देबऽ पड़त।
मैथिलत्वक सूत्रमे एकताबद्ध हो समाज
सभसँ महत्वपूर्ण बिन्दु अछि ओहि जन समान्यकेँ मिथिला राज्यक औचित्य आ एकर लाभसँ अवगत करायब जकरा लेल ई चाही। किसान, कृषि मजूर, छात्र, शिक्षक, छोट-पैघ नोकरिहारा, व्यवसायी, महिला-पुरुष सभकेँ रौदी-दाहीक नामपर क्षेत्रक संग भऽ रहल ठकैती, बिजलीक उपलब्धतामे पाछाँ राखल जायब, उद्योग नामपर सभ दिन आश्वासनक लमनचूस बाँटल जायब आ जेहो उद्योग पहिनेसँ छल तकरा चाटि-पोछि जायब, विद्या-दान लेल अपन विशिष्ट छवि बनेनिहार मिथिलाक एहि लेल दोसर क्षेत्रक मुँहतक्की होयब, छात्र-मजूरक पलायन आदिसँ मिथिलाक दरिद्रता आदि समस्याक निदान मिथिला राज्यसँ सम्भव होयत तकरा प्रति विश्वास उपजायब आवश्यक अछि। एहूसँ बेसी जरूरी अछि जे एहि ठामक मैथिल मुसलमान आ सभ मैथिल जातिक हृदयमे अपना माटि-पानिक प्रति ममता भरब। मैथिलत्वक सूत्रमे समाज एकताबद्ध हो।
संग-संग चलय अग्रिम योजना
मिथिला राज्यक पक्षमे जेना-जेना जनमानस जुड़ि रहल अछि ताहिसँ ई तय अछि जे आइ ने काल्हि एकर गठन होयत अवश्य। तेँ अग्रिम तैयारी सेहो संग-संग हेबाक चाही। पृथक मिथिला राज्यक आर्थिक आधार की होतय ताहिपर बेसी काज करबाक प्रयोजन अछि। ताहि लेल समाजक प्रबुद्ध वर्गकेँ जोड़ल जेबाक चाही। एहि माध्यमे हुनक सहभागिता सेहो एहि आन्दोलनमे सुनिश्चित कयल जा सकैत अछि। कहल जाइत अछि जे एहि ठामक पानि, माछ, मखान आदिकेँ ठोस आर्थिक आधार बनाओल जायत। से कोना ताहिपर विमर्श आ ठोस योजना तैयार हेबाक चाही। समग्र मिथिलाक पर्यटन स्थल कोन रूपमे आर्थिक विकासक आधार बनत ताहि दिशामे काज अपेक्षित अछि। तहिना कृषि, उद्योग, व्यापार, यातायात आदिक सुव्यवस्था आ रौदी-दाही सन विकराल समस्याक निदानपर केन्द्रित ठोस योजनाक निर्माण विशेषज्ञ दलक माध्यमे कयल जा सकैत अछि।
- अमलेन्दु शेखर पाठक
राष्टÑ जखन पराधीन छल। अङरेज राज करै छल। अनेक आत्मबलिदानी महापुरुष स्वाधीनता संग्रामक लड़ाइ लड़ि रहल छला। भारतवर्षकेँ अङरेजक चाङुरसँ मुक्त करबा लेल ओ सभ अपन जानक कोनो परवाहि नञि कऽ रने-बने बौआ रहल छला। समग्र राष्टÑकेँ एक सूत्रमे बान्हि स्वाधीनता आन्दोलनसँ जन-मनकेँ जोड़बा लेल अहर्निश प्रयास करै छला। एकर अपेक्षित परिणाम भेल। अङरेजक अत्याचारसँ सहमल जनमानस सेहो आन्दोलनक औचित्य बुझलनि आ बहुतो गोटे प्रत्यक्ष रूपसँ एहिमे सहभागी भेला। ओतहि एहन बहुत रास लोक छला जे आन्दोलनक समर्थक छला, अङरेजक अत्याचारसँ मुक्ति चाहै छला, हृदयमे स्वाधीनताक चिनगी सुनुगि रहल छलनि, मुदा मुखर नञि भऽ पाबि रहल छला। ओ सभ सामने एबामे हिचकिचाइ छला आ अपन भावनाक अभिव्यक्ति कतहु एकान्त-असगरमे करै छला। घरक कोठली बन्न कऽ अथवा एकान्त गाछीमे असगरे भारतमाताक जयकार किंवा वन्देमातरम् केर नारा लगबै छला। मिथिला राज्य आन्दोलनोक तेहने सन हाल अछि। जनमानसमे मिथिला राज्यक लेल चेतना अछि। एकर समर्थको बहुत रास लोक छथि। मिथिला क्षेत्रक समग्र विकास लेल पृथक मिथिला राज्यक गठन कयल जेबाक आवश्यकता बुझै छथि, मुदा ताहि लेल मुखर नञि होइ छथि। मिथिला राज्य आन्दोलनीक गतिविधि हुनका पसिन्न पड़ै छनि, मुदा एकर अभिव्यक्ति ओ परस्पर चर्चा मात्रमे करै छथि। आगाँ बढ़बासँ हिचकै छथि। प्रयोजन अछि एहि जनभावनाकेँ मुखर करबाक। से जहिए एहिमे सफलता भेटि जायत मिथिला राज्यक गठन अनायासे भऽ जायत। तहिना जेना अनुकूल बसात पाबि महात्मा गान्धीक संग जनसमुद्र उमड़ि आयल छल। ई वैह मिथिला अछि जाहि ठामसँ महात्मा गान्धी अपन आन्दोलनक सूत्रपात केलनि आ मन्द बसात जकाँ सिहकि रहल आन्दोलन तेहन प्रचण्ड बिहाड़ि बनि गेल जाहिमे ओहि अङेरजक सत्ता उड़िया गेल जकरा राजमे कहियो सूर्य अस्त नञि होइ छला। एहन धरगर-कसगर आन्दोलन लेल एकरा बहुमुखी बनेबाक आवश्यकता अछि।
मिथिला राज्यक माङ काल्हुक नञि अछि। अङरेजक दासतासँ भारत मुक्तो नञि भेल छल तहिएसँ मिथिला राज्यक माङ होइत रहल अछि। जहिया अङरेज 1903 मे मिथिलाकेँ दू फाँक कऽ देने छल आ सुगौली सन्धिमे एकर पैघ भू-भाग नेपालकेँ दऽ देलक तहियो मिथिला कछमछा उठल छल, जेना एखन तेलंगानाकेँ राज्य बनेबाक केन्द्र सरकारक निर्णयसँ मिथिला अपनाकेँ अपमानित आ उपेक्षित अनुभव कऽ रहल अछि। मिथिला-मैथिलीक विकास आन्दोलनमे जुटल संगठन सभक तिक्ख प्रतिक्रिया आबि रहल अछि। केन्द्र सरकारक मुखर विरोध भऽ रहल अछि। आन्दोलनकेँ प्रभावी बनेबाक घोषणा भऽ रहल अछि। ई सभ हेबाके चाही। संग-संग आत्म-मन्थन ओ आत्म-चिन्तन सेहो हेबाक चाही जे कहाँ चूकि रहल छी जे बेराबेरी देशमे राज्यक गठन भऽ रहल अछि आ मिथिलाकेँ एहिसँ बारल-टारल जा रहल अछि। एहिपर गम्भीर विमर्शक संग सधल डेग उठेबाक प्रयोजन अछि।
हिलोरल जाय जनमानस
बरखो भरि मिथिला राज्यक माङकेँ लऽ विभिन्न संगठन दिससँ धरना-प्रदर्शन होइत अछि। से दिल्लीक जन्तर-मन्तरपर बेसी। मिथिलाक माटिपर सेहो बरखो भरि आन्दोलनक संग विमर्शो होइत रहैत अछि। एकर सकारात्मक परिणामो होइत रहल अछि, मुदा आब प्रयोजन अछि जनमानसमे तेहन हिलोर उठेबाक जे मिथिला राज्यक विरोध आ उपेक्षा केनिहारकेँ ज्वार-भाटा बनि अपना संग बहा कऽ लऽ जाय। ताहि लेल आन्दोलनकेँ माटि धरेबाक प्रयोजन अछि। ‘माटि धरब’ अपना ओहि ठाम सकारात्मक आ नकारात्मक दुनू अर्थमे प्रयोग होइत अछि। आन्दोलनकेँ सकारात्मक अर्थ देबाक प्रयोजन अछि। जे माटि धेने रहैत अछि, अर्थात जकर जड़ि धरतीकेँ गसिया कऽ पकड़ने रहैछ ओकर केहनो झञ्झावात किछु नञि बिगाड़ि पबैत अछि। जकर जड़ि जते गहीँर से तते सबल। आ जखन जड़ि माटि छोड़ि दैत अछि, किंवा ओकर माटि पकड़बाक शक्ति घटि जाइत अछि तँ ओ माटि धऽ लैत अछि, माने धराशायी भऽ जाइत अछि। आ जे माटि धेनहि ने रहैत अछि ओ बसातक गति तेज होइते ओकरा संग सुखायल पात जकाँ उधिआय लगैत अछि। जखन पहलमान पेट भरे माटि धऽ लैत अछि तँ ओकरा चित्त कऽ माटि धरायब सहज नञि होइत अछि। से मिथिला राज्य आन्दोलनक सीर जनमानसमे जते गहीँर होयत एकर असरि ततेक बेसी होयत। एहि लेल क्षेत्र विस्तारक संग निरन्तर प्रयास अपेक्षित अछि।
सौँस मिथिलाक संगसँ भेटत नव ऊर्जा
कोनो आन्दोलनक लेल धनबलक प्रयोजन होइते अछि, मुदा ताहूसँ बेसी महत्वपूर्ण होइत अछि जनबलक। यैह होतइ अछि ओकर प्राण। एकरे बलपर ओकर धमनीमे आन्दोलनक रक्त-सञ्चार होइत अछि। एकरे बलपर आन्दोलन लक्ष्य दिस बढ़ैत अछि आ अन्तत: सफलतो प्राप्त करैत अछि। मिथिला लग जनबलक कमी नञि अछि। जनसंख्याक हिसाबे देखी तँ भारत राष्टÑमे तेहन-तेहन राज्य अछि जे ओते टा चारि राज्य असगर मिथिला क्षेत्रमे बनि जाय। असगरे दिल्ली, मुम्बइ सन कतेको महानगर आ नगर अछि जतऽ मैथिल ततबा संख्यामे छथि जतेक एकटा छोट-छीन राज्यक जनसंख्या होइत अछि। दुनिञामे कतेक एहन देश अछि जकर जनसंख्या मिथिला एते नञि अछि। छओ करोड़क जनसंख्या कम नञि होइत अछि। एकरा सभकेँ सङोरि सौँस मिथिलाक संग आन्दोलनक व्यापकता चाही। कोनो खास क्षेत्रसँ आन्दोलन कदापि नञि खुटेसल जेबाक चाही। एहि दिशामे संगठन सभक प्रयास चलि रहल अछि, मुदा एहि दिस ध्यान देब सेहो आवश्यक अछि जे सरकारी आ गैर सरकारी स्तरपर मिथिलाकेँ छोट करबाक प्रयास सेहो भऽ रहल अछि। मिथिला महोत्सवक आयोजन दरभंगा-मधुबनी मात्रमे किए होइत अछि? सहरसा क्षेत्रमे कोसी महोत्सव होइत अछि से अवश्यक कयल जाय, मुदा ओहू ठाम ने मिथिला महोत्सव हेबाक चाही। पूर्णिञा-किशनगञ्ज क्षेत्रकेँ सीमाञ्चलक नामपर मिथिलासँ कटबाक कुचक्र रचल गेल अछि। एहिपर गम्भीरतासँ विचार कऽ सधल डेग उठायल जेबाक चाही। जाहिसँ आन्दोलनक संग समग्र मिथिला अर्थात सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, बेतिया, मोतिहारी, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार, पूर्णिञा, अररिया, किशनगञ्ज, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, भागलपुर, हाजीपुर, वैशालीक क्षेत्र, मुंगेर आदि एकसंग तनतना कऽ ठाढ़ भऽ सकय। भागलपुर, मुंगेर, हाजीपुर सहित बहुत रास क्षेत्रक मिथिलाक संग अभिन्नता केर मुखरता आन्दोलनकेँ नव ऊर्जासँ भरत। एहि सभ क्षेत्रक जनबल केर हूंकार चाही। एहन नञि जे एहि दिशामे प्रयास नञि रहल अछि, प्रयोजन अछि एकरा विस्तृत फलक देबाक।
चाही राजनीतिक चेतना
मिथिला राज्यक गठन लेल राजनीतिक चेतना अत्यन्त आवश्यक अछि। से आन्दोलनी संगठनक संग जनमानसमे सेहो। पृथक राज्यक समाधान राजनीतिक अछि। एकर समाधान राजनीतिएसँ होयत। राजनेताकेँ मात्र भोटक डर होइ छनि। ओ सभ उचित-अनुचितपर विचारसँ बेसी अपन राजनीतिक लाभ तकै छथि। एहि लेल जनमानसकेँ सेहो सचेत होबऽ पड़त आ संगठनकेँ सेहो। एहि लेल प्रयोजन अछि जे राजनीतिक दलकेँ दू पक्षमे ठाढ़ हेबा लेल विवश कयल जाय। ओ अपन स्टैण्ड स्पष्ट करय जे मिथिला राज्यक संग अछि वा विरोधमे। राजनीतिक दलकेँ केन्द्रीय ओ राज्य स्तरपर मिथिला राज्यक प्रसंग अपन नीति रखबा लेल कहल जेबाक चाही आ जे पक्षमे ठाढ़ होइत अछि तकरा संग समग्र मिथिला हो। सुरसुर-मुरमुर दुनू केर अपेक्षा रखनिहार राजनीतिक दलकेँ नाङट करबा लेल अभियान चलय। ई शुभ संकेत अछि जे प्रसिद्ध क्रिकेटर आ दरभंगाक सांसद कीर्त्ति आजाद मिथिला राज्यक समर्थनमे खुजि कऽ सामने एला अछि। ओ पर्सनल बिल केर माध्यमसँ संसदमे मिथिला राज्य लेल प्रयास आरम्भ केलनि अछि। ओ संसदक भीतर-बाहर मिथिला राज्य लेल दृढ़ताक संग ठाढ़ रहबाक घोषणा केलनि अछि। अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समितिक तत्त्वावधानमे आयोजित कार्यक्रममे ओ दू टूक कहलनि अछि जे ओ मिथिला राज्य लेल निर्णायक लड़ाइमे संग रहता। से जँ अपन दल मना करतनि तैयो। ओ संसदपर 5 अगस्तसँ प्रस्तावित धरना-प्रदर्शनक नेतृत्वो करता।
छारनि मिलि बनय मुख्य धारा
मिथिला राज्य लेल बाबू जानकी नन्दन सिंह आत्म बलिदान केलनि। डॉ. लक्ष्मण झा पदयात्रा केलनि तँ पं. ताराकान्त झा रथयात्रा केलनि। डॉ. बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ पछिला कतेको दशकसँ आन्दोलन कऽ रहल छथि। डॉ. धनाकर ठाकुर, उदयशंकर मिश्र, अशोेक झा, डॉ. बुचरू पासवान आदिक सक्रियता सेहो बनल अछि। पछिला जून मासमे मिथिला राज्य निर्माण सेना दिससँ सेहो रथ यात्रा भेल। समय-समयपर डॉ. राममोहन झा प्रभृत सेहो एहि लेल आन्दोलन करैत रहला अछि। माने आन्दोलन कहियो ठमकल नञि अछि। आन्दोलनक धारा निरन्तर प्रवाहित भऽ रहल अछि। ई जमकल नञि अछि, मुदा छारनि जकाँ फराक-फराक। राष्टÑीय ओ अन्तर्राष्टÑीय स्तरक संगठनक निर्माणक कार्य चलिए रहल अछि। ईहो क्रम नञि ठमकल अछि। प्राय: नित्य कोनो ने कोनो संगठनक बयानो अबैत रहैत अछि, मुदा से फराक-फराक। जँ सभ संगठन अपन तागति समवेत कऽ एक मञ्चसँ सधल प्रयास करय तँ मिथिला राज्य आन्दोलन अपन लक्ष्य धरि शीघ्र पहुँचत। प्रयोजन अछि सभटा छारनि मिलि मुख्य धाराक स्वरूप ग्रहण करय आ एक संग आन्दोलनक ज्वारि उठाबय। एक मञ्चपर जुटबाक बात होइत तँ रहल अछि। एहि लेल गोट पगरे प्रयासो भेल, मुदा ई परिणाम धरि नञि पहुँचल। एकर मूल कारण रहल अछि जे अधिकांश संगठन एक मञ्चपर जुटने अपनाकेँ ओहिमे हेरा जेबाक डर होइ छनि। एकरा त्यागऽ पड़त। मिथिला राज्यक सपना साकार करबा लेल अपन सभ ‘स्व’ केर तिलाञ्जलि देबऽ पड़त।
मैथिलत्वक सूत्रमे एकताबद्ध हो समाज
सभसँ महत्वपूर्ण बिन्दु अछि ओहि जन समान्यकेँ मिथिला राज्यक औचित्य आ एकर लाभसँ अवगत करायब जकरा लेल ई चाही। किसान, कृषि मजूर, छात्र, शिक्षक, छोट-पैघ नोकरिहारा, व्यवसायी, महिला-पुरुष सभकेँ रौदी-दाहीक नामपर क्षेत्रक संग भऽ रहल ठकैती, बिजलीक उपलब्धतामे पाछाँ राखल जायब, उद्योग नामपर सभ दिन आश्वासनक लमनचूस बाँटल जायब आ जेहो उद्योग पहिनेसँ छल तकरा चाटि-पोछि जायब, विद्या-दान लेल अपन विशिष्ट छवि बनेनिहार मिथिलाक एहि लेल दोसर क्षेत्रक मुँहतक्की होयब, छात्र-मजूरक पलायन आदिसँ मिथिलाक दरिद्रता आदि समस्याक निदान मिथिला राज्यसँ सम्भव होयत तकरा प्रति विश्वास उपजायब आवश्यक अछि। एहूसँ बेसी जरूरी अछि जे एहि ठामक मैथिल मुसलमान आ सभ मैथिल जातिक हृदयमे अपना माटि-पानिक प्रति ममता भरब। मैथिलत्वक सूत्रमे समाज एकताबद्ध हो।
संग-संग चलय अग्रिम योजना
मिथिला राज्यक पक्षमे जेना-जेना जनमानस जुड़ि रहल अछि ताहिसँ ई तय अछि जे आइ ने काल्हि एकर गठन होयत अवश्य। तेँ अग्रिम तैयारी सेहो संग-संग हेबाक चाही। पृथक मिथिला राज्यक आर्थिक आधार की होतय ताहिपर बेसी काज करबाक प्रयोजन अछि। ताहि लेल समाजक प्रबुद्ध वर्गकेँ जोड़ल जेबाक चाही। एहि माध्यमे हुनक सहभागिता सेहो एहि आन्दोलनमे सुनिश्चित कयल जा सकैत अछि। कहल जाइत अछि जे एहि ठामक पानि, माछ, मखान आदिकेँ ठोस आर्थिक आधार बनाओल जायत। से कोना ताहिपर विमर्श आ ठोस योजना तैयार हेबाक चाही। समग्र मिथिलाक पर्यटन स्थल कोन रूपमे आर्थिक विकासक आधार बनत ताहि दिशामे काज अपेक्षित अछि। तहिना कृषि, उद्योग, व्यापार, यातायात आदिक सुव्यवस्था आ रौदी-दाही सन विकराल समस्याक निदानपर केन्द्रित ठोस योजनाक निर्माण विशेषज्ञ दलक माध्यमे कयल जा सकैत अछि।
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