Sunday, 4 August 2013

गोनू झा पुरस्कारमे मङलनि सोँटा


         गोनू झा पुरस्कारमे मङलनि सोँटा 
                                               - अमलेन्दु शेखर पाठक 

गोनू झाक बुद्धि आ एहि बलपर महराजक संग हुनक निकटता कतेको दरबारीकेँ खटकै छलनि। ओ सभ सदिखन ओहि अवसरक प्रतीक्षा करैत रहै छला जे गोनू झाकेँ पछाड़ल जाय, मुदा से सम्भवे नञि होइ छल। उन्टे यैह सभ पछड़ि जाइ छला। ओ सभ सदिखन बाटे तकैत रहै छल। संयोगसँ एक बेर एकगोट दरबारीकेँ अवसर लागि गेलै। भेलै ई जे दरबारमे एकगोट पण्डित शास्त्रार्थ लेल एला। महाराज कहलनि जे पण्डितकेँ जे क्यौ हरा देत तिनका पुरस्कार स्वरूप ओ सभ भेटतनि जे ओ मङता। अगिला दिन शास्त्रार्थक समय तय भेल। दोसर दिन निश्चित समयपर दरबारी आ पण्डित सभ दरबारमे पहुँचि गेला, मुदा संयोगसँ गोनू झाकेँ पूजा-पाठमे अबेर भऽ गेलनि। ओ धड़फड़ायल पहुँचला, मुदा ताबत द्वारपाल दरबारमे प्रवेशक करबाक द्वार बन्न कऽ देने छल। गोनू झा ओकरा द्वार खोलबा लेल कहलनि तँ ओ महाराजक बिगड़बाक बात कहि मना कऽ देलक। गोनू झा जनै छला जे ईहो द्वारपाल आन दरबारी जकाँ हिनकासँ ईर्ष्या करै छनि आ लोभी सेहो अछि। मने मन ओकरा छकेबाक निर्णय लऽ गोनू झा कहलथिन जे जँ द्वारपाल द्वार खोलि देत तँ शास्त्रार्थमे विजयी रहबापर जे किछु पुरस्कारमे भेटतनि से ओकरा दऽ देथिन। द्वारपाल हलसि कऽ खोलि देलक आ गोनू झा दरबारमे पहुँचला। शास्त्रार्थमे गोनू झा ओहि पण्डितकेँ अपन बुद्धि-ज्ञानसँ पछाड़ि देलनि। महाराज प्रसन्न भऽ गोनू झाकेँ सोना-चानी-हीरा आदि पुरस्कारमे देबाक घोषणा केलनि तँ गोनू झा कहलनि- महाराज अपने कहने रही जे शास्त्रार्थमे विजयी रहनिहारकेँ वैह पुरस्कारमे देबनि जे ओ मङता। महाराज कहलथिन- माङू की मङै छी। तखन गोनू झा पुरस्कारमे सोँटा मङलनि आ कहलनि जे ओहिसँ हुनका पीटल जाय। महाराज सहित सभ दरबारी आश्चर्यचकित रहि गेला। महाराज हुनका कतबो कहलथिन, मुदा गोनू झा अपन निर्णयसँ पलटबा लेल तैयार नञि भेला। ओ महाराजकेँ इशारा सेहो कऽ देलथिन जाहिसँ महाराज बुझि गेला जे फेर गोनू झा ककरो मूर्ख बनबऽ चाहै छथि, तेँ ओ एकर आदेश दऽ देलथिन। सोँटा आनल गेल। एक गोटे सोँटा लऽ जखने गोनू झा दिस बढ़ला कि ओ द्वारपालकेँ आवाज देलनि- कहाँ छी यौ आजुक पुरस्कार लीयऽ। द्वारपाल एहि लोभमे ओही ठाम छल जे पुरस्कारमे भेटल सभटा स्वर्णाभूषण आइ ओकरे हाथ लागत। गोनू झाक बुधियारी देखि डरे सिटपिटा गेल। तखन गोनू झा सभटा खेरहा महाराजकेँ कहलनि। महाराजक संग सभ ठहाका मारि हँसि पड़ल। गोनू झाक बुद्धिमत्तासँ प्रसन्न भऽ महाराज हुनका पहिनोसँ बेसी पुरस्कार दऽ बिदा केलनि आ द्वारपालकेँ कारागारमे रखबाक आदेश देलनि, मुदा गोनू झा महाराजसँ आग्रह कऽ ओकरा बचा लेलनि। ओ गोनू झाक पैर पकड़ि माफी मङलक आ फेर कहियो गोनू झाक संग एना नञि करबा लेल कान पकड़लक। 

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